लेखनी कविता - रंग जमाया टीवी ने - बालस्वरूप राही
रंग जमाया टीवी ने / बालस्वरूप राही
फीके पड़े तमाशे सारे, रंग जमाया टीवी ने।
ए बी सी डी ई एफ जी,
फिल्मों की है धूम मची,
सबने इतवारों की शाम,
कर डाली टीवी के नाम,
सैर सपाटे, खेल- कूद का किया सफाया टीवी ने।
टिक-टिक टिक भई टिक टिक,टिक
आता जब धारावाहिक,
बैठक में सब जम जाते,
काम काज सब थम जाते,
पढ़ने-लिखने के चक्कर से हमें बचाया टीवी ने।
अ आ इ ई उ ऊ ए,
छूटकू भी टीवी घूरे,
निक्कर तक न सँभलता है,
टीवी देख मचलता है,
बच्चा हो या बड़ा सभी को खूब रिझाया टीवी ने।
फीके पड़े तमाशे सारे रंग जमाया टीवी ने।